जीवन

ढोल को देखो, पिट कर भी
बांसुरी को देखो, छिद कर भी
भाषा, जाति, र‍ग भेद से ऊपर ऊठ
माधुर्य की भाषा बोलते हैं
जीवन में एक रस सा घोलते है‍
छ्नकती पायल की छन छन में
बिंदास चुडियों की खन खन में
बैलों की घ‍ंटी की रुन झुन में
बहती हवा के कंपन में
छुपी हुयी जो सरगम है
उसी का नाम तो जीवन है

6 comments:

Udan Tashtari said...

सुंदर, बधाई!!

ghughutibasuti said...

सुन्दर !
घुघूती बासूती

praveen pandit said...

jeevana kaa
bahut sundar vhitran
badhaaee

गीता पंडित said...

सुंदर,
बधाई!

रंजू भाटिया said...

छुपी हुयी जो सरगम है
उसी का नाम तो जीवन है
bilkul sahi kaha aapne ...yahi jeevan hai ...

Rachna Singh said...

all your work is of high calibre so i always read enjoy