ढोल को देखो, पिट कर भी
बांसुरी को देखो, छिद कर भी
भाषा, जाति, रग भेद से ऊपर ऊठ
माधुर्य की भाषा बोलते हैं
जीवन में एक रस सा घोलते है
छ्नकती पायल की छन छन में
बिंदास चुडियों की खन खन में
बैलों की घंटी की रुन झुन में
बहती हवा के कंपन में
छुपी हुयी जो सरगम है
उसी का नाम तो जीवन है
6 comments:
सुंदर, बधाई!!
सुन्दर !
घुघूती बासूती
jeevana kaa
bahut sundar vhitran
badhaaee
सुंदर,
बधाई!
छुपी हुयी जो सरगम है
उसी का नाम तो जीवन है
bilkul sahi kaha aapne ...yahi jeevan hai ...
all your work is of high calibre so i always read enjoy
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