हंसिये अगर हंस सकते है.... बिना बात के

एक हैलिकाप्टर चालक सीटल (जगह का नाम) के ऊपर से उडान भर रहा था तभी हैलिकाप्टर में तकनीकी खराबी आ गई. सूचना, प्रसारण और मार्ग दर्शक यंत्रों ने काम करना बन्द कर दिया. बादलों और धूंध के कारण चालक यह नहीं समझ पा रहा था कि इस समय वह कहां पर है. तभी उसे एक ऊंची सी इमारत दिखाई दी. चालक हैलिकाप्टर उस इमारत की और ले गया और एक कागज पर "मैं कहां पर हूं" बडे बडे अक्षरों मे लिख कर ईमारत में काम कर रहे लोगों को ईशारा किया.

ईमारत में से लोगों ने यह देख कर एक कागज पर "तुम हैलिकाप्टर में हो" लिख कर चालक को ईशारा किया. चालक मुस्कराया और उसने अपना रास्ता सीटेक ऐयर पोर्ट की तरफ़ निर्धारित कर हैलिकाप्टर को सुरक्षित उतार लिया.

जब लोगों ने चालक से पूछा कि तुम खराब मौसम में भी ऐसा करने में कैसे सफ़ल हुये तो उसने बताया कि जब लोगों ने कुछ लिख कर उसे दिखाया तो वह समझ गया कि वह माईक्रोसोफ़्ट की ईमारत के नजदीक है क्योकि उन्होंने मेरे प्रश्न का जो उत्तर दिया था वह तकनीकी रूप से सही था परन्तु व्यवहारिक रूप से एक दम नाकारा.

(यह चुटकुला केवल हास्य मात्र के लिये है और इसका किसी व्यक्ति, संस्थान से परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है )

2 comments:

mamta said...

बढ़िया।

अविनाश वाचस्पति said...

ओरीजनल कृति लगती है. बहुत सुन्दर. इस ऊर्जा को जारी रखिये और पहचानिये हम कहां मिले थे.