पिया नहीं हैं साथ, अब के होली में
बाहर मची है धूम, और मैं खोली में
सखी-सहेली नाचें गायें, रंग उडायें
चुहुल और मनुहार, लगी है टोली में
रंग तरंग में, है कोई नशे के भंग में
मस्त है सारे मलंग,आज ठिठोली में
भैया भाभी,दीदी जीजा, धुत मौज में
रंगा हुआ है अंग-अंग, साडी चोली में
ढोल मंजीरे बज रहे सब लय ताल में
हवा में उडते राग, प्यार की बोली में
आयेंगे पिया जब,तब खेलूंगी होली मैं
रखे अरमां संवार, सपनों की झोली में
4 comments:
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाए।
मोहिन्दर जी,बहुत ही रंग-बिरंगी सुन्दर रचना लिखी है।आप को होली मुबारक।
mohinder ji,Holi ki rang birangi shubhkamnayen aap ko bhi.
मोहिन्दर जी
बढ़िया रचना। भावों से भरी रचना के लिए बधाई। होली मुबारक।अगले वर्ष के लिए शुभकामनाऐँ
Post a Comment