ईंट

जिन्दगी में कुछ घटनायें ऐसी होती हैं जिन्हें मनुष्य जीवन प्रयन्त नहीं भूल पाता. एक ऐसी ही कहानी जो मैंने पढी आप सब तक पहुंचाना चाहूंगा.

एक जवान सफ़ल उद्यमी अपनी चमचमाती नई कार में बैठ कर तेजी से सडक पर गुजर रहा था...साथ ही वह सावधान भी था कि सडक के किनारे खडी गाडीयों की कतार के बीच में से कोई बच्चा निकल कर सडक पर न आ जाये. तेजी से गुजरते हुये उसे लगा कि कोई गाडीयों के बीच है मगर जब तक वह कुछ और सोचता एक ईंट हवा में लहराती हुई उसकी गाडी के दरवाजे से टकराई और एक निशान छोडती हुई सडक पर गिरी. उद्यमी ने गाडी में ब्रेक लगाई और गाडी को रिवर्स गियर में लगा कर उस जगह पहुंच गया जहां से एक ईटं आई थी. वह अपनी गाडी से उतरा और ईंट फ़ैंकने वाले लडके को एक कार के साथ धकियाते हुये चिल्ला कर पूछा... यह सब क्या है, तुम कौन हो और तुमने मेरी कार पर ईंट क्यों फ़ैंकी ? तुम्हें शायद पता नहीं कि यह ईंट मुझे कितनी मंहगी पडेगी.

लडका घिघियाते हुये बोला, मुझे क्षमा कर दीजिये, मुझे बहुत अफ़सोस है मगर मेरे पास इसके सिवा कोई चारा नहीं था. मैं बहुत देर से किसी को रोकने की कोशिश कर रहा हूं मगर कोई रुकता नहीं. लडके की आंखो से आंसू बह रहे थे. रोते रोते वह बोला मेरा अपाहिज बडा भाई अपनी व्हील चेयर से गिर पडा है... उसे चोट लगी है .. मैं उसे उठा कर व्हील चेअर पर नहीं बिठा पा रहा क्योंकि वह भारी है.. क्या आप मेरी मदद करेंगे.

लडके के शब्द सुन कर उद्यमी के क्रोध भरे शब्द उसके गले में ही घुट कर रह गये... उसने लडके के भाई को उठा कर व्हील चेयर पर बिठाया और उसके जख्मों को अपने रुमाल से पोंछा. लडका धन्यवाद कह अपने भाई को ले कर चल पडा. उद्यमी को अपनी कार तक का छोटा सा रास्ता बहुत लम्बा प्रतीत हो रहा था. उस उद्यमी नें अपनी कार पर पडी उस खरोंच को ठीक नही करवाया ताकि उसे यह हमेशा याद रहे कि उसे इतना तेज नहीं चलना है कि किसी को उसे रोकने या उसका ध्यान आकर्षित करने के लिये उस पर ईंट फ़ैंकनी पडे.

कुछ ईंटे दूसरी ईंटों की अपेक्षा नर्म होती हैं..आवाज या निशान नहीं छोडती...अपने जीवन में आने वाली हर ऐसी ईंट का ध्यान रखें.

3 comments:

शोभा said...

मोहिन्दर जी
बहुत ही सुन्दर कथा सुनाई। कभी-कभी छोटी घटनाएँ भी जीवन बदल देती हैं। आत्मविश्लेषण की प्रेरणा देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। सस्नेह

रंजू भाटिया said...

सुंदर संदेश देती है यह कहानी .शुक्रिया इसको यहाँ शेयर करने के लिए मोहिंदर जी

Udan Tashtari said...

प्रेरक रचना है-ऐसी ही अंग्रेजी में पढ़ी थी कभी.