नहीं आसां हमसफ़र होना


सभी को मिल जायें खुशियां जमाने में नहीं मुमकिन
गमों को भी अकसर रहती आशियानों की तलाश है

अपनी तो कट जायेगी मजे में इसी के सहारे दोस्त
तेरी यादों का दिया तोहफ़ा अपने लिये बहुत खास है

कभी मिल जाओ राहों में तो न बरतना पराये सा
हूं अजनबी मैं तेरी दुनिया में मुझे यह अहसास है

कुछ हादसे दिल मे दफ़न रहते हैं आखिरी दम तक
निकालने पर जो दे जख्म गहरे यह ऐसी फ़ांस है

जिन्दगी मुशकिल सफ़र है, नहीं आसां हमसफ़र होना
अंधेरी राह, खोई मंजिल मगर फ़िर भी इक आस है

4 comments:

बालकिशन said...

"सभी को मिल जायें खुशियां जमाने में नहीं मुमकिन
गमों को भी अकसर रहती आशियानों की तलाश है"

"कुछ हादसे दिल मे दफ़न रहते हैं आखिरी दम तक
निकालने पर जो दे जख्म गहरे यह ऐसी फ़ांस है"

एक एक शेर बेहतरीन और उम्दा है.
पढ़ आनंद आया.
आपको धन्यवाद.

Pravin Kashyap said...

आपकी ये नज्म दिल की गहराईयों में उतर गई है.....

Udan Tashtari said...

बेहतरीन. अच्छा लगा पढ़ कर.

महावीर said...

वाह! क्या बात है-
कुछ हादसे दिल मे दफ़न रहते हैं आखिरी दम तक
निकालने पर जो दे जख्म गहरे यह ऐसी फ़ांस है
महावीर शर्मा