क्रोध की आग

प्रेम और क्रोध की कोई सीमा नहीं होती इस लिये जीवन की धारा को सीमाओं में बांध कर बहने दे ताकि यह निर्मल धारा कहीं राह से छिटक कर बिखर न जाये.

यह छोटी सी कहानी मेरे दिल को छू गई इसलिये मैं इसे आप सब के साथ बांटना चाहता हूं

एक आदमी अपनी नयी कार को पोलिश कर रहा था तभी उसके छोटे से बेटे ने पत्थर से कार पर कुछ लिख दिया... पिता ने आव देखा न ताव और उस बच्चे के हाथ पर रेंच से मारा. अस्पताल में चोट गम्भीर होने के कारण बच्चे की उंगलियां काटनी पडी.

बच्चे ने बडी मासूमियत से अपने पिता से पूछा, "पापा मेरी उंगलियां कब वापस उगेगीं ? " पिता के दिल को बहुत आघात पहुंचा और बेटे के प्रश्न का उसके पास कोई उत्तर नहीं था.

अपने पर क्रोधित पिता कार के पास गया और कार को कई ठोकरें मारी... दुखी मन से जब वो कार के पास खडा था तब उसने देखा कि कार पर पत्थर से बेटे ने लिखा था "पापा मैं तुम्हें प्यार करता हूं"

दूसरे दिन पिता ने आत्महत्या कर ली.

3 comments:

रंजू भाटिया said...

गुस्सा सर्वनाश ही करता है .मार्मिक कहानी है यह

Advocate Rashmi saurana said...

Ranju ji sahi kah rhi hai. bhut badhiya likha hai. likhte rhe.

Udan Tashtari said...

मार्मिक कहानी!!