यादों की तितलियां
बिछुड कर मुझसे तुम
हर सू हो गये हो
पहले सिर्फ मेरी ज़ॉं थे
अब रूह हो गये हो
तलाशने की तुमको
अब जरूरत नही रही
हवाओं मे घुल के अब तुम
खुशबू हो गये हो
तम्हारे लिये अव सफर,
सफर नही रहा
फासलों से हट कर
खुद मंजिल हो गये हो
जब तक रहे करीब
न एहसास कर सका
जाना तुम्हारी कीमत
जब तुम दूर हो गये हो
रातों को, यादों की तेरी
दिल में तितलियां उडें
नीदें उडा के मेरी
खामोश सो गये हो
9 comments:
रातों को, यादों की तेरी
दिल में तितलियां उडें
नीदें उडा के मेरी
खामोश सो गये हो
waah sunder bhav
जब तक रहे करीब
न एहसास कर सका
जाना तुम्हारी कीमत
जब तुम दूर हो गये हो
किसी के दूर जाने पर ही उसके वजूद का एहसास होता है .अच्छी लगी आपकी यह कविता
बहुत खूबसूरत काव्य रचना । बधाई सर जी
हवाओं में घुल के अब तुम'
खुशबू हो गए हो...
मोहिंदर भाई बेहद खूबसूरत रचना लगी आप की...बधाई.
नीरज
जब तक रहे करीब
न एहसास कर सका
जाना तुम्हारी कीमत
जब तुम दूर हो गये हो
किसी के दूर जाने पर ही उसके कीमत का एहसास होता है .
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना.
पहले सिर्फ जाँ थे
अब रुह हो गये है....
ओह्हो!! गज़ब भाई-सब कुशल मंगल तो है. रचना धांसू बन पड़ी है, बधाई.
रातों को, यादों की तेरी
दिल में तितलियां उडें
नीदें उडा के मेरी
खामोश सो गये हो
बहुत ही सुंदर लगी आप की यह रचना
धन्यवाद
गजब का लिखा है ... बहुत बहुत बधाई।
पहले सिर्फ जाँ थे
अब रुह हो गये है....waah...!!
Mohinder ji,
Badi muskil se aapke itane sare blogon me se kavitaon ka blog dhoodha pr dhoodhne ke bad jo sukun mila ..mehnat sarthak hui..bhot sunder sabdo ka sainyojan...!!
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