मुझे याद रखना कि भूल जाना तुम
मेरी दुनिया तुम्हीं और जमाना तुम
जैसे शाम होते परिन्दे लौटते हैं घर
हो सके किसी दिन लौट आना तुम

5 comments:

Jandunia said...

सुंदर पोस्ट

Vinay said...

वाह जी क्या कही है!

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गुलाबी कोंपलें
The Vinay Prajapati

Shekhar Kumawat said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Shekhar Kumawat said...

NICE

आचार्य उदय said...

आईये पढें ... अमृत वाणी।