हिन्दी की दशा को नई दिशा दें

अपनी भाषा विसरा के हम क्यों
अंग्रेजी के झूले झूलें
क्या कारण है कि अपने देश में
बैठे हैं हम हिन्दी को भूले

कारण हम हैं और न कोई दूजा
हिन्दी दिवस पर करते हिन्दी की पूजा
भारत की जनता कहां सो रही
यही देख कर हिन्दी दुखी हो रही

अभिव्यक्ति के आयाम के लिये
बोलों को सशक्त गान के लिये
राष्ट्र के अहम सम्मान के लिये
हिन्दी है ना,  हिन्दी है ना.

क ख ग की है सरगम अनूठी
मात्रा, चन्द्र, बिन्दू की बेल बूटी
हम सब बन जायें अगर "मोढा"
प्रयत्न करें सब गर थोडा थोडा
विश्व में हिन्दी का परचम लहरा सकता है
ठान ले मन में तो इन्कलाब आ सकता है

जय हिन्द... जय हो हिन्दी.

6 comments:

arvind said...

hindi divas par prasansaneey rachna.subh kaamanayen

Akshitaa (Pakhi) said...

हिंदी-दिवस पर सुन्दर प्रस्तुति...हिंदी तो अपनी मातृभाषा है, इसलिए इसका सम्मान करना चाहिए. हिंदी दिवस पर ढेरों बधाइयाँ और प्यार !!
_____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है...

विवेक सिंह said...

बहुत सुन्दर छंदबद्ध कविता । मन मोह लिया !

समयचक्र said...

बढ़िया प्रस्तुति ..
हिंदी दिवस पर हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाये....
जय हिंद जय हिंदी

हास्यफुहार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

Udan Tashtari said...

जय हिन्दी-सार्थक प्रस्तुति!!


हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!