प्रेम एक अनुभूति
प्रेम एक प्रतिति
प्रेम एक आहुति
शांत कभी
कभी प्रज्जवल्लित
क्षण में एकान्तक
क्षण में मिश्रित
मधुर मलय बन
झोंको संग बह्ती
वर्षा रितु बन
भिगोती कभी तन मन
कभी चहकती बन उमंग
विरह में वही बन जाती
इक शूल इक अग्न
खुल के बरसो मेघा
आज तुम झमझम
संग हैं मेरे आज सजन
6 comments:
बढ़िया रचना
खूबसूरत एहसास ..सुन्दर रचना .
खूबसूरत रचना.
प्रेम के अहसास को बडी ही सुन्दरता से संजोया है आपने…………।बढिया
बढ़िया रचन॥
बहुत सुन्दर मोहिन्दर भाई.
Post a Comment