हादसा हम भी भूले होते गर न याद दिलाते लोग
होश न खोते हम अपने गर न जाम पिलाते लोग
जीत है क्या और हार है क्या हमें खबर न होती
कदम कदम पर गर यूं न बिसात विछाते लोगे
हम तो जाने सब हैं बराबर छोटा बडा कोई नहीं
अच्छा होता गर न नाम से पहले जात बताते लोग
माटी से उपजे हैं हम तो माटी में मिल जाना है
खुश हो लेते हम गर न हमें औकात जताते लोग
दिल में, जुंबा पर हम तो दुआयें ले कर आये हैं
नजर में होते गर न मंहगी सौगात सजाते लोग
मोहिन्दर कुमार
2 comments:
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल ,उम्दा पंक्तियाँ ..
http://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_5341.html
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