गजल





हादसा हम भी भूले होते गर न याद दिलाते लोग

होश न खोते हम अपने गर न जाम पिलाते लोग



जीत है क्या और हार है क्या हमें खबर न होती

कदम कदम पर गर यूं न बिसात विछाते लोगे



हम तो जाने सब हैं बराबर छोटा बडा कोई नहीं

अच्छा होता गर न नाम से पहले जात बताते लोग


माटी से उपजे हैं हम तो माटी में मिल जाना है

खुश हो लेते हम गर न हमें औकात जताते लोग



दिल में, जुंबा पर हम तो दुआयें ले कर आये हैं

नजर में होते गर न मंहगी सौगात सजाते लोग



मोहिन्दर कुमार

2 comments:

Madan Mohan Saxena said...

हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल ,उम्दा पंक्तियाँ ..

रश्मि प्रभा... said...

http://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_5341.html