एक बार मुस्कराओ ना



एक बार मुस्कराओ ना

जिसका रहा मुझे
जिन्दगी भर इन्तजार
वो मुस्कराहट तम्हारे होंठों पर थी
फिर एक बार मुस्कराओ न
मेरे लिये

दर्द जो तुमने दिये
सब ख्वाबों में ढले
ख्वाब आंखों से झरे
बाकी अब कुछ न बचा
जख्म कोइ और लगाओ न
मेरे लिये

जिन्दगी के उजालों में
न मिले मुझ से तुम्
मौत के साये में तो आ के मिलो
कब्र पर एक दिया जलाओ न
मेरे लिये

मोहिन्दर

2 comments:

Divine India said...

मैं जागते-2 सो गया यादों की वेदियाँ सहेज कर,
बस एकबार ही मुस्कुरा दो मुझे भूलने पर…बड़े ही अंदाजों से टटोला है भावनाओं को…

रंजू भाटिया said...

दर्द जो तुमने दिये
सब ख्वाबों में ढले
ख्वाब आंखों से झरे
बाकी अब कुछ न बचा

बहुत ही ख़ूबसूरत लफ्ज़ है यह