तेरी याद है काफी जीने को


तेरी याद है काफी जीने को
ओर दर्द तेरा मर जाने को
इस आस में की तू लौट आये
न जीता हूं न मरता हूं

एक बहाना करके तुमने तो
वादा अपना तोड दिया
अब तो वादा करते भी
मैं अनजाने में डरता हूं

तू शाद रहे, आबाद रहे
तेरा गुलशन रहे हरा भरा
मैं खुद अपनी मर्जी से
सहरा की धूप में ज़लता हूं

मोहिन्दर

1 comment:

Sunil Kapoor said...

This blog seems to be good but it's compatibility with Indian fonts is poor. Write according to your aga.