रिश्तों की हद मियाद

साथ जीने का हुनर जिसे आता है
साथ मरने की कसम कब खाता है
रिश्तों की हद मियाद इस जमीं तक
कौन कब किस के साथ जाता है

6 comments:

सदा said...

वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

sach kaha...badi khoobsurti se.

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

Kailash Sharma said...

बहुत सार्थक कथन..

डॉ. मोनिका शर्मा said...

कौन कब किसके साथ जाता है.... कटु सत्य ...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

OM KASHYAP said...

सरल और स्पष्ट रचना