प्यार की बातें कीजे - गजल


न रस्मो-रिवाज न बाजार की बातें कीजे

हैं फ़ुर्सत में तो बस प्यार की बातें कीजे


वक्त रुकता नहीं किसी  मानो-मिन्नत से

ये गुजर जायेगा न टकरार की बातें कीजे


बात छोटी है फ़ायदा क्या इसे बढाने से

चिलमन से निकल दीदार की बातें कीजे


बोझ बढता है दिल की दिल में छुपाने से

आज मौका है तो इजहार की बातें कीजे


देहरी लांघते ही वास्ता पडे इस जमाने से

खिडकियां खोलिये न दीवार की बातें कीजे


मोहिन्दर कुमार